176--02-11
होनी
रुकती नहीं
अनहोनी टलती
नहीं
जीवन धारा चलती
रहती
नदी सी बहती रहती
क्यूं इंसान को जल्दी रहती ?
इंसान की इच्छा कभी
ना घटती
संतुष्टी उसे कभी ना
मिलती
निरंतर उदिग्नता मन
में रहती
क्यूं दिमाग से बात
निकलती
कर्म से मंजिल मिलती
मेहनत से किस्मत
बदलती
मनोच्छा इंसान की
पूरी होती
01-02-2011
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