212--02-11
आग दिल में लगी
मन में मिलने की
ख्वाइश बसी
अचानक आंधी कैसी आयी?
ग़मों की बारिश ने
आग दिल की बुझाई
राख उसे बनायी
तड़प अधूरी रह गयी
निरंतर जो दिल में थी
हसरत मेरी
पूरी होने से पहले
मिटाई
अब किस से अफ़साना
अपना कहूं?
कैसे दिल पर काबू रखूँ
कैसे उसे समझाऊँ
दुआ ही बची अब
पास मेरे
सहारा उसे अपना
बनाऊँ
05-02-2011
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