Saturday, February 18, 2012

मौसम खुश गवार था

मौसम खुश गवार था
ठंडी हवा बह रही थी
पेड़ों का पत्ता पत्ता
डाली डाली झूम रही थी
चिड़ियाएं रोज़ से
ज्यादा चहक रही थी  
मैंने सोचा
उन्हें पैगाम भेज दूं
साथ,नाच गा  लूं
कुछ वक़्त साथ गुजार लूँ
तभी ख्याल आया
उन्हें भी तो पता होगा
मौसम खुशगवार है
अगर वो चाहते
तो खुद ही चले ना आते
शायद उनका ही पैगाम
आ जाए
उम्मीद में कयास
लगाता रहा
दिन गुजर गया
शाम तक मायूस
बैठा रहा
18-02-2012
188-99-02-12

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