Sunday, February 26, 2012

कितना पवित्र सकता है,मन का रिश्ता

मेरे ह्रदय में कोई
और है
तुम्हारे ह्रदय में कोई और
मेरे तुम्हारे बीच
केवल मन का रिश्ता है
कोई बंधन नहीं
फिर भी
एक अटूट करार है
तुम करोगी
प्रार्थना मेरे लिए
मैं करूंगा
दुआ तुम्हारे लिए
मैं तुम्हारा ख्याल
रखूंगा
हर विपत्ती में
साथ दूंगा
तुम मुझे खुश रखोगी
हिम्मत होंसला देती
रहोगी
तुम हँसोगी मैं हंसूंगा
तुम रोओगी मैं रोऊँगा
ना कोई
बंधन ना मजबूरी
फिर भी निरंतर
साथ निभायेंगे
बता देंगे दुनिया को
कैसी होती है दोस्ती
कैसा होता है दोस्त
कितना
पवित्र हो सकता है,
मन का रिश्ता
26-02-2012
254-165-02-12

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