Monday, February 20, 2012

हास्य कविता-हँसमुखजी का वक़्त बेवक्त का मज़ाक

हँसमुखजी वक़्त बेवक्त
हर किसी का मज़ाक
बनाने की आदत के
शिकार थे
किसी की भावनाओं का
ख्याल नहीं रखते थे
मित्र नया सूट
पहन कर आया तो
कई लोगों के बीच
कह दिया
सूट कितने रूपये रोज़ में
किराए पर लाये हो
मित्र बड़े शान से
प्रतियोगिता में जीती हुयी
शील्ड दिखा रहा था
फ़ौरन बोले
शील्ड कितने में खरीदी
सब के बीच
उसे शर्मसार कर दिया
मित्र ने उन्हें
सबक सिखाने का
निर्णय लिया
एक दिन हँसमुखजी को
पत्नी बच्चों के साथ
देख लिया
पास जा कर बोला
भाभीजी को पहचान लिया
बच्चों के
बाप का क्या नाम है
आपसे तो शक्ल नहीं
मिलती
हँसमुखजी की सारी
शानपत धरी की धरी
रह गयी
कसम खा ली अब
किसी का  मज़ाक नहीं
उड़ायेंगे
अब कहीं भी बीबी
बच्चों के साथ जाते हैं
तो कोई पूंछता है
उससे पहले ही बोल देते हैं
शक्ल तो नहीं मिलती
पर बच्चे मेरे हैं
लगे हाथ किसी का
मज़ाक नहीं उड़ाने की
नसीहत भी दे देते हैं
20-02-2012
207-118-02-12

No comments: