Friday, February 17, 2012

और सुबह हो गयी….


सूरज की पहली किरण
खिड़की से होती हुयी
कमरे को रोशनी से
नहलाने लगी
पेड़ों के पत्तों पर
रात से जमी ओस
पिघलने लगी
कहीं से उड़ता हुआ
तोते का जोड़ा
घर के बाहर लगे
नीम के पेड़ पर आ बैठा
बगीचे में
गुलाब के पौधे पर लगी
कली खिलने के लिए
अंगडाई लेने लगी
नयी नवेली दुल्हन
आधी सोयी
आधी जागी आँखों से
अपने सुन्दर मुखड़े को
साडी के पल्लू में
छुपाते हुए
शर्माती हुयी कमरे से  
बाहर निकली
बिना कुछ बोले भी  
बता रही थी
उसकी नींद पूरी भी
नहीं हुयी और
सुबह हो गयी..
17-02-2012
182-93-02-12

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