Wednesday, May 30, 2012

बहुत व्यस्त थे हम

कई दिन के
इंतज़ार के बाद उनका
फ़ोन आया
ना देरी की माफी माँगी
ना ही कोई बहाना बनाया
बहुत व्यस्त थे हम
कह कर पीछा छुडाया
अभी ज़ल्दी में है
बाद में फुर्सत से बात करेंगे
कह कर फ़ोन बंद कर दिया
पहले जैसे ही
इस बार भी रुलाया
दिन रात याद  करने  का
बहाना मिल गया
फ़ोन करने का सिलसिला
शुरू हो गया
इस बार भी उन्होंने
ना फोन उठाया
ना ही याद किया
उम्मीद में भी
नाउम्मीदी का दौर
चलता रहा
मायूसी बढ़ती गयी
सोचा आखिरी बार
कोशिश कर लूं
सहमते हुए फ़ोन किया
तो मीठी आवाज़ से
स्वागत हुआ
आपने याद किया
देख भी लिया था
पर क्या करें
बात नहीं कर सके
बहुत व्यस्त थे हम
30-05-2012
549-69-05-12

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