Thursday, January 19, 2012

दिल ने जिसे भी चाहा

दिल ने
जिसे भी चाहा
वो जुदा हो गया
नहीं कहता
मैं तनहा हो गया
मेरा खुदा मेरे साथ रहा
दिल निरंतर
उसे याद करता रहा
इतना ज़रूर है
दिल को राहत
मुझे सुकून नहीं
उम्मीद फिर भी
खोयी नहीं
वो भी याद तो
करता होगा
दो कतरे आंसू  के
बहाता होगा
अपने खुदा से भी
डरता होगा
खुदा के
खौफ से ही सही
कभी तो लौट कर
आयेगा
हसरतों के बगीचे में
बहार बन कर
छाएगा
मोहब्बत की
किश्ती को किनारे
लगाएगा
19-01-2012
63-63-01-12

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