Monday, January 2, 2012

नहीं कह सकते वह बात

नहीं कर सकते

वह काम जो तुमको
पसंद है
नहीं कह सकते वह बात
जो सरासर झूठ है
दिन को दिन
रात को रात कहना
हमारी फितरत है
करेंगे नाराज़ बहुतों को
खायेंगे गालियाँ
पर बदलेंगे नहीं हम
नहीं बेच सकते ईमान 
तुम्हें खुश करने के लिए
सिरफिरा भी कहोगे
तो खुशी से सुन लेंगे हम
बेईमान
होने से तो अच्छा है
अकेले सर
ऊंचा कर के जीना
खाते रहेंगे ज़ख्म
लोगों के 
मगर बनेंगे नहीं
बहरूपिया
इस जन्म में हम
02-01-2012
04-04-01-12

No comments: