ना तड़पता हूँ
खामोश रहता हूँ
खुशी से सहता हूँ
खुदा से दुआ करता हूँ
उन्हें उनकी
इंसानियत लौटा दे
निरंतर सुकून से रहना
सिखा दे
नफरत से निजात
दिला दे
खुद खुशी से जिएँ
औरों को भी जीने दें
31-07-2011
1278-162-07-11
निरंतर कुछ सोचता रहे,कुछ करता रहे,कलम के जरिए बात अपने कहता रहे.... (सर्वाधिकार सुरक्षित) ,किसी की भावनाओं को ठेस पहुचाने का कोई प्रयोजन नहीं है,फिर भी किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचे तो क्षमा प्रार्थी हूँ )
ना तड़पता हूँ
खामोश रहता हूँ
खुशी से सहता हूँ
खुदा से दुआ करता हूँ
उन्हें उनकी
इंसानियत लौटा दे
निरंतर सुकून से रहना
सिखा दे
नफरत से निजात
दिला दे
खुद खुशी से जिएँ
औरों को भी जीने दें
31-07-2011
1278-162-07-11
वो रुस्वां क्या हुयी
हर शख्श को खबर
हो गयी
शहर में चर्चा-ऐ-आम
हो गयी
कई आँखों की चमक
बढ़ गयी
मनचलों की हसरतें
जाग गयी
हर नज़र खामोशी से
वजह पूछ रही थी
कैसे बताता वो हमें
चाहती ही नहीं थी
वो तो सिर्फ
वक़्त गुजार रही थी
शौक -ऐ-मोहब्बत पूरा
कर रही थी
31-07-2011
1277-161-07-11
उसकी आवाज़ कहीं दूर से
आती महसूस होती
आसमान से रहम की
बरसात होती
मेरी आहें बूँदें बन
रिमझिम बरसती
यादों की खुमारी बढ़ती
सुर्ख तेज़ धूप
ख़्वाबों की लड़ी तोडती
आँख खुलती
हकीकत निरंतर लौट
कर आती
ख्यालों पर बर्फ पड़ती
सांसें ठंडी होती
वो आसमान से देखती
रहती
ग़मों की ठंडक दूर
नहीं होती
ज़िन्दगी उम्मीद में
गुजरती रहती
(सबा =प्रात:काल की हवा)
31-07-2011
1276-160-07-11
छोड़ दो
बस खतों का जवाब
दे दिया करो
ज़ख्मों पर मरहम
ना लगाओ
देख कर मुस्करा
दिया करो
रिश्ता चाहे ना रखो
मेरे नाम पर आहें
भर लिया करो
मुलाक़ात चाहे ना करो
बस ख़्वाबों में दिख
जाया करो
नज्मों में ज़िक्र चाहे
ना करो
मेरी नज्में निरंतर
पढ़ लिया करो
चाहो याद ना करो
जब याद करूँ
हिचकी ले लिया करो
31-07-2011
1275-159-07-11