Sunday, July 17, 2011

इक आवाज़ ने मुझे जगाया ,सुकून का फलसफा समझाया

दिल दर्द से रो
रहा था
ग़मों का सैलाब
आया था
इक आवाज़ ने मुझे
जगाया
सुकून का फलसफा
समझाया
परेशान ना हो
"मैं"को छोडो
"मैं"दर्द बढाता
क्या किसी ने कहा ?
क्या किसी ने करा?
जहन से निकालो
करने वाले करते रहेंगे
निरंतर 
आगे बढना तो
खुद पर काबू रखो
आसान नहीं सब
करना
ये भी जान लो
लाख चलन लोग
अपना भूलें
तुम अपना चलन
ना भूलो
खून का घूँट पी लो
सफलता और सुकून
लिखवा कर ले लो
17-07-2011
1195-75-07-11

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