सांस लेने में निरंतर
कठिनायी हो रही थी
आँखें बार बार
बंद हो रही थी
दृष्टि भी मंद हो गयी
जुबान काँप रही थी
मुख से अस्पष्ट स्वर
निकल रहे थे
हाथ उठाने की कोशिश
करता
हिल कर रह जाता
पास खड़े लोगों को
पहचानने का प्रयत्न करता
विफल होता
दिमाग पर जोर डालता
क्यों ऐसा हो रहा ?
समझ नहीं पा रहा था
चेहरा भावहीन
चिंतामुक्त था
शरीर जवाब दे रहा था
उसे पता नहीं था
आ गया था
अपनों से बिछड़ने का
संसार से जाने का
समय हो गया था
16-07-2011
1191-73-07-11
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