ज़िन्दगी
फ़ुटबाल का खेल
गेंद कभी इधर
कभी उधर रहती
कभी चोट खाते
कभी
ज़मीन पर गिरते
कभी गेंद गोल में
कभी गोल के बाहर
रहती
कभी विपक्षी भारी
कभी हम भारी
निरंतर
गम और खुशी साथ
चलती रहती
ध्यान
जिसका गेंद पर
वह जीतता
ध्यान हटाने वाला
निरंतर हारता
जीत के लिए खेलना
ज़रूरी
हार जीत खेलने से
होती
बिना खेले ज़िन्दगी
अधूरी रहती
24-07-2011
1222-102-07-11
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