थोड़ा सा देखती
सिर्फ खुद की तस्वीर
नज़र आती
दिमाग भी
सिर्फ खुद के बारे में
सोचता
उसे कोई और नहीं
दिखता
दिल भी निरंतर
सिर्फ खुद के
सुकून की हसरत
रखता
कानों को सिर्फ
खुद की तारीफ़
अच्छी लगती
जुबान से कडवी बातें
निकलती
इंसान अब सिर्फ
खुद के लिए रह गया
इंसान निरंतर बदल रहा
इंसान और हैवान में
फर्क करना मुश्किल
हो रहा
25-07-2011
1227-107-07-11
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