निरंतर ख्वाब देखता
नए अरमान संजोता
ख्वाइशों की दुनिया में
रहता था
अब पछताता हूँ
लम्हा लम्हा मरता हूँ
खुद से लड़ता हूँ
हसरत के नाम से
खौफ खाता हूँ
नाकामयाबी
हिस्सा ज़िन्दगी का
समझ गया हूँ
कम उम्मीद में
जीता हूँ
24-07-2011
1220-100-07-11
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