निरंतर कुछ सोचता रहे,कुछ करता रहे,कलम के जरिए बात अपने कहता रहे.... (सर्वाधिकार सुरक्षित) ,किसी की भावनाओं को ठेस पहुचाने का कोई प्रयोजन नहीं है,फिर भी किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचे तो क्षमा प्रार्थी हूँ )
तुम्हारी जुदायी में
होश खो दिया
मोहब्बत का मतलब
भूल गया
शहर में तुमसा
कोई नहीं
अब दिल किससे लगाऊँ?
नज़रें कहीं और
टिकती नहीं
अब तमन्नाएँ क्या रखूँ ?
हर मौसम निरंतर
खिजा का मौसम
अब बहारें कहाँ देखूं ?
27-07-2011
1243-123 -07-11
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