Monday, July 11, 2011

वो असहाय खडा देखता रहा

बूढा हो गया था
आँखों से
कम दिखता था
घुटनों में दर्द था
चलना भी मुश्किल था
कोई सड़क पार 
करवा दे
इंतज़ार में खडा था
लोग निरंतर आते 
देख कर पास से
निकल जाते
वो असहाय खडा
देखता रहा
आज ख्याल आ 
रहा था
जवानी में वो भी
परवाह नहीं करता था
बूढ़े,अंधों का ख्याल
नहीं रखता था
वक़्त आज
कर्मों का फल दे 
रहा है
किस को दोष दे
उसे समझ नहीं आ
रहा था
11-07-2011
1168-52-07-11

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