बूढा हो गया था
आँखों से
कम दिखता था
घुटनों में दर्द था
चलना भी मुश्किल था
कोई सड़क पार
करवा दे
करवा दे
इंतज़ार में खडा था
लोग निरंतर आते
देख कर पास से
निकल जाते
वो असहाय खडा
देखता रहा
आज ख्याल आ
रहा था
रहा था
जवानी में वो भी
परवाह नहीं करता था
बूढ़े,अंधों का ख्याल
नहीं रखता था
वक़्त आज
कर्मों का फल दे
रहा है
रहा है
किस को दोष दे
उसे समझ नहीं आ
रहा था
11-07-2011
1168-52-07-11
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