कोई तो मेरा साथ दो
मेरे गम में आंसू बहाओ
मैं हंस रहा था
तब सब हंस रहे थे
अब क्यों मुंह छिपा रहे ?
मुझे पता नहीं था
दस्तूर ज़माने का निबाह रहे
हैरान हूँ
अब क्यों इंसान
इंसानियत नहीं निभाते
क्या रिश्ते
इतने कमज़ोर होते ?
कच्चे धागे से टूटते
ज़रुरत के हिसाब से चलते
वक़्त सदा
इकसार नहीं रहता
क्यूं लोग निरंतर भूलते ?
हसने वालों को भी कभी
रोना होगा
जीवन का हर रंग
देखना होगा
22-07-2011
1216-96-07-11
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