निरंतर कुछ सोचता रहे,कुछ करता रहे,कलम के जरिए बात अपने कहता रहे.... (सर्वाधिकार सुरक्षित) ,किसी की भावनाओं को ठेस पहुचाने का कोई प्रयोजन नहीं है,फिर भी किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचे तो क्षमा प्रार्थी हूँ )
मंदिर जाऊं
या मस्जिद जाऊंक्या फर्क पड़ता ?पूजा करूँ
या इबादत करूँक्या फर्क पड़ता ?जब नाम उसका लेनाउसका कहा करनाइंसानियत से जीनाराम कहूं या अल्लाक्या फर्क पड़ता ?
26-07-2011
1234-114-07-11
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