निरंतर कुछ सोचता रहे,कुछ करता रहे,कलम के जरिए बात अपने कहता रहे.... (सर्वाधिकार सुरक्षित) ,किसी की भावनाओं को ठेस पहुचाने का कोई प्रयोजन नहीं है,फिर भी किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचे तो क्षमा प्रार्थी हूँ )
आज तुम से ही
पूंछ लूं
सत्य कह कर
नाराज़ करूँ
या झूठ बोल कर,
खुश करूँ ?
निरंतर सवालों में
जकड़ा हूँ
अहम् बढ़ाऊँ
या कम करूँ ?
सच्चा मित्र
बन कर रहूँ
या दिखावा करूँ ?
सब जीते जैसे
मैं भी वैसे ही जीऊँ ?
30-07-2011
1268-152-07-11
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