उसकी व्यथा में
व्यथित
खुशी में खुश
होता हूँ
वो मेरी,
मैं उसका हूँ
मेरे अरमानों की
मंजिल थी
बड़ी ख्वाइशों के बाद
जन्मी थी
आँख खुलते ही
मुझे देखा
मुस्काराहट का
तोहफा दिया
उसका बचपन
अपनत्व का सुखद
अहसास था
उसके साथ खेलना
मेरी पहली
पसंद था
बिना उसके हर पल
भारी लगता
उसका यौवन
मुझे मेरी जिम्मेदारी
याद दिलाता
उसकी हर बात
मुझे याद है
बात करे बिना मन
उदास रहता
कभी प्यार से डांट
लगाता
कभी हिम्मत,हौंसला
बढाता
उसका ख्याल
सदा दिमाग में
कुलबुलाता
अब मुझ से दूर
विदेश में रहती
निरंतर उसकी चिंता
सताती
कैसे समझाऊँ उसे?
बिना उसके ज़िन्दगी
अधूरी मेरी
उसकी खुशी ,
खुशी मेरी
मेरा दिल उसके लिए
धड़कता
वो मेरी खुशी के लिए
आंसू बहाती
मैं पिता,
वो बिटिया मेरी
24-07-2011
1224-104-07-11
No comments:
Post a Comment