चेहरा तुम्हारा
अनछुए गुलाब के
फूल सा महकता
निरंतर दिल को
लुभाता
नज़रों का धोखा नहीं
हकीकत है
कुछ तुम में है
जो किसी और में नहीं
तुम बेखबर
अपनी मासूमियत से
मैं वाकिफ हो गया
कद्रदान बन गया
दिल भी बेबस
मजबूरी में तुम पर
लुट गया
28-07-2011
1256-140 -07-11
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