कई रातें तेरी यादों में काटी
बार बार दिल को समझाया
कल सुबह नया सूरज उगेगा
मुखड़ा तेरा नज़र आयेगा
हर सुबह पहले से बदतर
होती रही
तुमसे दूरी निरंतर बढ़ती रही
अब खुद से सवाल करता हूँ
कब हकीकत को जानूंगा ?
कब तक
बेबसी में ज़िन्दगी काटूंगा
दिल को भरमाऊंगा ?
खुद ही जवाब देता हूँ
खुद ही जवाब देता हूँ
जब तक बहलेगा,बहलाऊंगा
नहीं बहलेगा तो जान दे दूंगा
18-07-2011
1200-80-07-11
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