गम-ऐ-उल्फत में
कलम उठा ली
दिल की तकलीफें
कागज़ पर लिख दी
किस्मत खराब थी
एक इबारत भी
उन्होंने नहीं पढी
वरना किस्मत
बदल गयी होती
मैं यहाँ,
वो वहां नहीं होती
खिजा बहार में
बदल जाती
ज़िन्दगी मौत से
बदतर नहीं होती
निरंतर
सुकून से गुजरती
12-07-2011
1169-53-07-11
(उल्फत=मोहब्बत के गम में, इबारत =लाइन ,खिजा=पतझड़)
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