Sunday, July 31, 2011

मेरे अनजाने ब्लॉगर दोस्त

जिन्हें जानता

जो रोज़ मिलते

ऊपर से खुश दिखते

अन्दर से बद्दुआ देते

मेरे अनजाने ब्लॉगर

दोस्त उनसे अच्छे

जिन्हें कभी देखा नहीं

जो कभी मिले नहीं

वो मेरा मैं उनका

होंसला बढाते

जो मैं लिखता

वो पढ़ते

जो वो लिखते,

मैं पढता

वो दाद देते ,

मैं भी दाद देता

उनसे मिलने की

इच्छा रखता

देखने को दिल चाहता

उनका भी सोच

ऐसा ही होगा

इस उम्मीद में निरंतर

लिखता रहता

31-07-2011

1274-158-07-11

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