Friday, July 22, 2011

ज़िन्दगी तमन्नाओं की बस्ती

ज़िन्दगी

तमन्नाओं की बस्ती

कभी हंसती,कभी रोती

धूप छाँव सी चलती

रहती

किस को सुकून

किस को बेचैनी रहेगी

खबर किसी को नहीं

होती

निरंतर उम्मीद में

कटती

हर आँख सपना देखती

एक टूटता

दूजे की तमन्ना होती

ज़िन्दगी यूँ ही कटती

22-07-2011

1213-93-07-11

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