उनकी सादगी
एक पहेली थी
हर शख्श के लिए
कौतुहल का विषय थी
दिलों में खलबली मचाती
भला आज के ज़माने में
बिना मेकअप कोई नारी
रह सकती ?
हर आँख उन्हें शहर के
ब्यूटी पार्लरों में ढूंढती
हकीकत जानने को
बेताब रहती
कहीं दिख जाएँ
निरंतर इंतज़ार करती
इक दिन पकड़ी गयीं
लोगों से घेरी गयीं
सवालों की बौछार हुयी
ब्यूटी पार्लर में
क्या कर रही थी ?
पूंछताछ हुयी
हकीकत जान सबकी
सिट्टी पिट्टी गुम हो गयी
सौन्दर्य प्रसाधन कंपनी में
काम करती थीं
पैसे वसूलने आयी थी
26-07-2011
1238-118-07-11
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