फैला रहे
अन्धेरा मनों में
बढ़ा रहे
नफरत दिलों में
मार रहे उनको
जिनसे
रंजिश भी नहीं
रंजिश भी नहीं
दहशतगर्दों का कोई
धर्म ईमान नहीं है
शमशान को निरंतर
लाशों से सज़ा रहे
बच्चों को अनाथ
कर रहे
कर रहे
सुकून को दहशत में
बदल रहे
सज़ा-ऐ-मौत के
अलावा इनका
कोई इलाज नहीं
14-07-2011
1182-65-07-11
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