नयी कलियाँ जन्म
ले रही थी
नए फूल खिल रहे थे
पुराने मुरझा रहे थे
कभी आँखों के तारे थे
भंवरों को लुभाते थे
अब बगीचे से
विदाई निश्चित हो गयी
पंखुड़ियां गिरने लगी
बगीचे में
कुछ नहीं बदला
कुछ नहीं बदला
निरंतर
साथ रहने वाले पौधे
असहाय देखते रहे
अपने
भविष्य का शाक्षात
दर्शन करते रहे
16-07-2011
1190-72-07-11
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