उसकी आवाज़ कहीं दूर से
आती महसूस होती
आसमान से रहम की
बरसात होती
मेरी आहें बूँदें बन
रिमझिम बरसती
यादों की खुमारी बढ़ती
सुर्ख तेज़ धूप
ख़्वाबों की लड़ी तोडती
आँख खुलती
हकीकत निरंतर लौट
कर आती
ख्यालों पर बर्फ पड़ती
सांसें ठंडी होती
वो आसमान से देखती
रहती
ग़मों की ठंडक दूर
नहीं होती
ज़िन्दगी उम्मीद में
गुजरती रहती
(सबा =प्रात:काल की हवा)
31-07-2011
1276-160-07-11
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