मांग कर खाने की
आदत ने भी
उसे निठल्ला नहीं
बनने दिया
मांगने के नए तरीके
ढूँढने में
मेहनत करने लगा
शादी ब्याह में
साफ़ सुथरे कपडे पहन
मेहमान बन भोजन का
आनंद लेने लगा
दिल को छू जाए
ऐसी कहानी सुना
सहानभूती बटोरने लगा
निरंतर पैसे कमाने लगा
नयी कहानियां गढ़ना
उसका शौक हो गया
धीरे धीरे कागज़ पर
लिखने लगा
अच्छे कहानीकारों की
जमात में शामिल
हो गया
अब सम्मानित लेखक है
पर मांगना,
कहानी सुना कर
भावनाओं में बहाना
पैसे कमाना नहीं छूटता
पहले मांग कर खाता
अब लिख और सुनाकर
कमाता
जो एक बार फंसता
तौबा करता
लेखकों से दूर रहता
दोस्तों को इनसे
बचने की
सलाह भी देता
25-07-2011
1227-107-07-11
(काव्यात्मक लघु कथा)
No comments:
Post a Comment