Wednesday, July 13, 2011

कुछ बनना है,सोचता रहा

कुछ बनना है
सोचता रहा
समस्याओं से
भिड़ता रहा
काम में जुटा रहा
हवा भी ना लगी
कब जवानी को
पार किया
प्यार क्या होता ?
कैसे किया जाता ?
सवाल बना रहा
ज़िन्दगी की गुत्थियां
सुलझाता रहा
सुकून की
तलाश में निरंतर
भटकता रहा
बस किसी तरह
जीता रहा
13-07-2011
1175-58-07-11

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