दिल करता
जहन के
दरीचे खोल दूं
उसमें
भरा नफरत का
कचरा फैंक दूं
झाड पोंछ कर
साफ़ करूँ
नए ख्यालों से
सजाऊँ
मोहब्बत के
फूलों से भर दूं
निरंतर लोगों को
गले से लगाऊँ
दुआओं से नवाजूं
हंसू और हंसाऊं
हर दिन दीपावली
ईद मनाऊँ
11-07-2011
1165-49-07-11
(दरीचे =खिड़कियाँ,नवाजूं =भेंट देना,अनुग्रह,सहायता )
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