कह सकूं तो
दिल की बात कह दूं
बरसों से जो पल रहा
निरंतर जहन में
वो कह दूं
लोगों का सच कह दूं
खुद का झूंठ कह दूं
अपनों की हकीकत कह दूं
चेहरे से चेहरा हटा दूं
दिल की हसरतें कह दूं
जो मिल ना सका
उसका नाम कह दूं
पता है मुझे
किसी की नज़र में
गिर जाऊंगा
किसी की नज़र में
चढ़ जाऊंगा
नए दोस्त ,नए दुश्मन
बनाऊंगा
हिसाब बराबर रहेगा
इसलिए चुप रहता हूँ
कहते कहते रुक जाता हूँ
मन में घुटता रहता हूँ
28-07-2011
1259-143 -07-11
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