Monday, July 11, 2011

कागज़ का टुकडा नहीं हूँ

कागज़
का टुकडा नहीं हूँ 
लिखा और फाड़ दिया
धडकते दिल का
मालिक हूँ
निरंतर
मोहब्बत को तरसता हूँ
मोहब्बत में जीता हूँ 
जिसका हो गया
एक बार
उसी का रहता हूँ
पुचकारे ये दुत्कारे
शौक से सहता हूँ
11-07-2011
1162-46-07-11

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