तन्मयता से
रोमांच से भरपूर
किताब पढ़ रहा था
अचानक निगाह
दीवार के
कौने में गयी
तो देखा
मकडी दीवार के
कौने में
एकाग्रचित्त हो कर
जाला बुन रही थी
बहुत कोशिश करी
किताब में ध्यान
लगाऊँ
पर निगाहें निरंतर
मकडी की तरफ
उठती रही
मेरी तन्मयता भंग
हो गयी
मैंने किताब उठा कर
रख दी
मकडी फिर भी
काम में लगी रही
मकडी जीत गयी
मैं हार गया
08-07-2011
1152-36-07-11
रोमांच से भरपूर
किताब पढ़ रहा था
अचानक निगाह
दीवार के
कौने में गयी
तो देखा
मकडी दीवार के
कौने में
एकाग्रचित्त हो कर
जाला बुन रही थी
बहुत कोशिश करी
किताब में ध्यान
लगाऊँ
पर निगाहें निरंतर
मकडी की तरफ
उठती रही
मेरी तन्मयता भंग
हो गयी
मैंने किताब उठा कर
रख दी
मकडी फिर भी
काम में लगी रही
मकडी जीत गयी
मैं हार गया
08-07-2011
1152-36-07-11
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