लता बोली पेड़ से
तेरे सहारे के बिना
मैं किस पर चढ़ती
धरती पर पडी रहती
ख्याती मेरी नहीं फैलती
तेरे सहारे से
निरंतर फलती फूलती
देखने वालों को लुभाती
तेरा क़र्ज़ कैसे चुकाऊंगी ?
मैं निर्बल
तुझ को क्या दे
पाऊँगी ?
पेड़ ने जवाब दिया
सहारा तो बहाना है
स्वार्थ मेरा था
मैंने सहारा लेने दिया
मैंने तुझे मित्र माना
तेरी सुन्दरता देख लोग
मेरे पास आते
कुछ क्षण
मेरे सानिध्य में बिताते
तेरे साथ मुझे भी
सम्मान से देखते
तूं नहीं होती
को किससे बात करता ?
कैसे समय व्यतीत
करता?
करता?
अकेले खड़े,खड़े
समय से पहले बूढा होता
तेरे फूलों के
लावन्य और महक का
भरपूर आनंद लिया
अकेला कोई कुछ नहीं
कर सकता
साथ मिल कर
दुनिया को
दुनिया को
जीता जा सकता
कल किसी को
बात करते सुना था
अकेला चना भाड़ नहीं
फोड़ सकता
05-07-2011
1138-22-07-11
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