Wednesday, September 11, 2013

"निरंतर" की कलम से.....: विरह की उदासी

"निरंतर" की कलम से.....: विरह की उदासी: ये सीना अब झूमते ह्रदय का बसेरा नहीं  इच्छाओं की समाधी है जहां सपनों की  नदी  बहती थी  कभी वहां अब मरघट की शान्ति है इन...

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