Friday, December 23, 2011

अब क्या देखना बाकी है?


तुम्ही बताओ
अब क्या देखना 
बाकी है?
हमने तुम्हारी रुसवाई
देख ली
तुम्हारी महफ़िल से
हमारी विदाई देख ली
दिन के उजाले में
अंधेरी रात देख ली
भरी पूरी दुनिया में
तन्हाई देख ली
हसरतों की मौत
देख ली
अब देखना को
बचा ही क्या है?
मोहब्बत में
नफरत की इन्तहा
देख ली
हमने जीते जी
क़ज़ा देख ली
23-12-2011
1881-49-12

No comments: