हमदर्दी बहुत उनसे मुझे
निरंतर याद जो करते मुझे
नींद अपनी खराब करते
हर दिन बेचैन रहते
कैसे गुबार अपना निकालें
नए नए तरीके ढूंढते
मैं हर हरकत पर
मुस्कराता हूँ
मुस्कराता हूँ
बड़े प्यार से आदाब
करता हूँ
करता हूँ
जवाब नहीं देते
फिर भी आदत से
बाज़ नहीं आता हूँ
इरादे नाकाम करता हूँ
01-03-2011
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर
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