Wednesday, March 2, 2011

माँ आज चिट्ठी बन कर आयी है




देख कर समझ गया
माँ की चिट्ठी आयी है
छोटे,छोटे मोती से,
अक्षरों से सजी हुयी
अनमोल सौगात आयी है
प्यार का सन्देश लाई है
खाने से पहनने तक
स्वास्थ्य से आराम तक
नसीहत आयी है
पास रहूँ या दूर
दिन रात
मेरी चिंता में घुलती
पल पल
याद मुझे करती
निरंतर
दुआ भगवान् से करती
माँ आज
चिट्ठी बन कर आयी है
आँखों में
स्नेह के आंसू लाई है
02-03-2011
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर

6 comments:

Roshi said...

Roshi ने आपकी पोस्ट " माँ आज चिट्ठी बन कर आयी है " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:

aisa hi hota hai maa ka pyar

saurabh dubey said...

saurabh dubey ने कहा…

सुंदर रचना

२ मार्च २०११ ८:१७ अपराह्न

vikram said...

vikram


ब्लॉगर saty bolna paap hai ने कहा…

sundar rachna, aabhar

२ मार्च २०११ ७:४८ अपराह्न

हरीश सिंह said...

हरीश सिंह ने कहा…

माँ, यह एक ऐसा शब्द है जो रोम रोम को प्रफुल्लित कर देता है. बहुत अच्छी रचना ,आभार

२ मार्च २०११ ११:३४ अपराह्न

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " said...

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

bhavpoorn rachna,,,,,,
maaa to aakhir maaa hi hoti hai.

३ मार्च २०११ ६:२४ अपराह्न

rubi sinha said...

rubi sinha ने कहा…

सुन्दर रचना.

३ मार्च २०११ ३:०७ अपराह्न