Wednesday, March 2, 2011

लोग पूंछते,क्यों मिलते नहीं उनसे,किस उलझन में उलझे हो





लोग पूंछते
क्यों मिलते नहीं उनसे?
किस उलझन में उलझे हो 
क्या रिश्ते उनसे टूटे ?
कैसे बात दिल की बताऊँ
हकीकत उन्हें समझाऊँ
मिलते थे 
तब फ़साने बनते थे
चर्चे शहर में होते थे
कई मतलब निकाले जाते
रिश्तों पर लोग उंगली उठाते 
मजबूर ज़माने ने किया
खामोश रहना सिखाया
दूर रह कर भी
उनसे मिलना सिखाया
अब भी दिल में रहते
निरंतर याद आते
ख़्वाबों में मिलते
हाल-ऐ-दिल जानते
मैं उन्हें समझता
वो मुझे समझते
02-03-2011
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर

  

1 comment:

Sriprakash Dimri said...

Sriprakash Dimri ने आपकी पोस्ट " लोग पूंछते,क्यों मिलते नहीं उनसे,किस उलझन में हो उ... " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:

डा० साहब सुन्दर रचना के लिए शुभकामनाएं....
बहुत सुन्दर ...प्रेम एवं स्नेह भरे रिश्तों को ज़माने की नजर से बचाने में कितनी उलझन ???