344—14-03-11
क्यों हाल
मेरा ऐसा हुआ
क्यों दिल
अब मेरा ना रहा
जहन
ख्यालों से भर गया
ख़्वाबों का आगाज़ हुआ
निरंतर खामोश रातों में
सूरज का उजाला हुआ
माहौल भी बेसब्र हुआ
निरंतर
इंतज़ार उनका हुआ
उनको
पता भी ना चला
कब उनका दीदार हुआ
दिल मेरा उनका हुआ
03—03-2011
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर
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