पल पल
इम्तहान लेता है वो
रोज़ नया
सवाल करता है वो
ज़िन्दगी गुजर गयी
इम्तहानों में
निरंतर सवालों का
जवाब देने में
इक सवाल मैं भी कर लूं
कुछ अपने मन की कह दूं
कब वक़्त बदलेगा
कब सिलसिला
सवालों का रुकेगा
कब सुकून मिलेगा
या सफ़र यूँ ही कटेगा
ऐतबार मेरा उठे तुम से
नया
सवाल पूँछों मुझ से
उस से
पहले जवाब दे दे
यकीन
खुद पर बनाए रखे
03—03-2011
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर
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