Sunday, March 18, 2012

ख्वाब मेरे सूरत उनकी थी

ख्वाब मेरे
सूरत उनकी थी
रोम रोम में आग
लगाते हुए
मदहोश करती हुयी
उनकी शोख अदाएं थी
तीर चलाते हुए उनकी
दिलकश निगाहें  थी
गले में
हार पहनाती उनकी
बाहें थी
होठों पर उनके होठों की
नमी थी 
मोहब्बत की आंधियां
दिल में उड़ रही थीं
अफ़सोस की सिर्फ
अहसास की रात थी
थोड़ी देर में सुबह होने
को थी
सब बातें सिर्फ ख़्वाब
की बातें थी
18-03-2012
399-133-03-12

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