Sunday, March 18, 2012

क्यूं भूल जाते ?

उन इल्जामों का कोई
वजूद नहीं
जो हम पर लगाए जाते  ,
गुनाहगार करार देने
के लिए
रोज़ नए किस्से बनाए
जाते
बातों के तीर चलाये
जाते
हम डर कर टूट जाएँ
थक कर झुक जाएँ
घबरा कर उनकी बात
मान लें
समझ नहीं आता हमको
वो क्यूं भूल जाते ?
हमने ही सिखाया था
उनको
कैसे हालात से लड़ा
जाए
चाहे कुछ भी हो जाए
काले को काला सफ़ेद को
सफ़ेद कहें
चाहत को कमजोरी
समझने की भूल कोई
ना करें
18-03-2012
403-137-03-12

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