Wednesday, March 7, 2012

मन नहीं लगेगा मेरे कमरे की दीवारों का


मन नहीं लगेगा
मेरे कमरे की दीवारों का
मेरे दुनिया से जाने के बाद
निरंतर
मुझे याद करेगी
जब उन्हें रहना पडेगा
तन्हायी में
कुछ कह तो नहीं
पाएंगी
मगर मुझे याद कर के
कुछ सोचेंगी अवश्य
आंसू तो नहीं बहायेंगी
मगर घर में सूनापन तो
लायेंगी
दीवारों के रंग
हलके लगने लगेंगे
खामोशी
काटने को दौड़ेगी
जब भी
मेरी कुर्सी पर कोई
बैठेगा
मेरी कलम से कुछ
लिखने की कोशिश
करेगा
पसंद नहीं करेंगी
मेरे कमरे की दीवारें
मेरे जाने के बाद
अगर खेला किसी ने
मेरे ज़ज्बातों से
07-03-2012
316-50-03-12

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