Saturday, March 10, 2012

हास्य कविता-मित्र बोला हँसमुखजी से खूब मनाई तुमने होली

मित्र
बोला हँसमुखजी से
खूब मनाई तुमने होली
कृष्ण बन कर
की भरपूर मस्ती
खूब किया
नैन मटक्का राधा से
चढ़ाई भांग
लगाया रंग राधा के
राधा भी ना शरमाई 
ना घबरायी तुमसे
लगी समझने तुमको
कन्हैया
हँसमुखजी ने अचम्भे से
आँखें मटकायी
कहने लगे हाय हाय
मुझसे भारी भूल हो गयी
अब दिल ना दुखाओ
ना ही सुनाओ
किस्से मस्त होली के
ना दिखी राधा मुझको
ना दिखी पिचकारी 
ना जाने 
कब आ कर गले मिली
कब करी आँख मिचोली
खेली मुझ से होली
भांग के नशे में
सुध बुध मैंने खो दी थी
आज कसम खाता हूँ
अगली होली पर नहीं
पियूंगा
बेचैनी से करता रहूँगा
राधा का इंतज़ार 
खूब खेलूंगा होली
खूब लगाऊंगा रंग
रचाऊंगा रास जी
भर के
मिलाऊंगा नैनों से नैन
राधा से
10-03-2012
337-71-03-12

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