Tuesday, March 13, 2012

चाहत की इन्तहां तो देखिये

कौन है
जिसने किसी से
दिल नहीं लगाया कभी
दिल धडका नहीं 
देख कर किसी को कभी
कुछ को मिल गयी
मंजिल
पहली मुलाक़ात में
कुछ को मिली बहुत
इंतज़ार के बाद
कुछ ऐसे भी जो बैठे हैं
हसरतों को दिल में
दबाये हुए अभी तक
कब होगी
मुलाक़ात साहिल से
कब पायेंगे
निजात दिल के दर्द से
उन्हें पता नहीं
पर उनकी चाहत की
इन्तहां तो देखिये
होंसला नहीं खोते हैं
इंतज़ार में
हर खूबसूरत चेहरे को
देख कर मुस्काराते हैं
नित नए ख्वाब बुनते हैं
13-03-2012
359-93-03-12

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