निरंतर कुछ सोचता रहे,कुछ करता रहे,कलम के जरिए बात अपने कहता रहे....
(सर्वाधिकार सुरक्षित) ,किसी की भावनाओं को ठेस पहुचाने का कोई प्रयोजन नहीं है,फिर भी किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचे तो क्षमा प्रार्थी हूँ )
"निरंतर" की कलम से.....: कभी सोचा है ?: कभी सोचा है कैसे बचाती है जान नन्ही सी चिड़िया आंधी तूफ़ान से कभी ख्याल आया कहाँ सोता है गली का कुत्ता सर्दी की रात में ...
No comments:
Post a Comment